हम है पागल तेरे ध्यानके
(तर्ज : सारी दृनियाँ का तूही. .. )
हम हैं पागल तेरे ध्यानके, नामके ।
अब तो रहे ना किसी कामके, धामके ।।टेक।।
सारे जीवनमें समझा ही नही था कोई ।
पुत्र है, मित्र है, बस, यही तो रही ।।
अब तो लगता है,हम साथी थे रामके ।।1।।
भूल पायी थी हमने, दिया बेच दिल ।
सारे दिनरात धन -धनके बनके कबिल | ।
ठोकरें खाके अब तो बने श्याम के ।।2।।
टदिलमें पर्वा नहीं, चाहे जंगल मिले ।
तनपे कपडा न हो, चाहे नंगा चले ।।
लाज मालिक को है,हम हैं पैगाम के ।।3।।
ये सुनो भाईयों ! मैने पायी रजा।
अब तो इससे बढ़े दूसरी ना ध्वजा ।।
कहता तुकड्या, उठाये कदम प्रेमसे ।।4।।