ऐ राजकाजवालो ! तुम
(तर्ज: आओ सभी मिल जायके... )
ऐ राजकाजवालों ! तुम राज चलाओ ।
खोये हुए इस देश में, सद्धर्म बुलाओ ।।टेक।।
किसने किया हे फंद यह नीती बिगाड़ दी।
इन्सानियत भी जा रही, प्रीती उजाड दी।।
तुम हर तह्रे इन पत्थरोंके, दिलको हलाओ । खोये0।।४।।
बिन कामकी जाती कहे और नाम बढाते ।
घुसखोरी और बेइमानी सरपे चढाते ।।
सम्हलो यदि सम्हलेहि तो बहतेहि ना जाओ । खोये0।।२।।
सत्ता औ स्वार्थके लिए तो पापभी करते ।
डरते नहीं है धर्मको, डुबते हुए मरते ।।
हो दूरदृष्टी तो जरा इन सबको सिखाओ । खोये0।।३।।
जो जीवनके मूल्य रहे सो बचे यहाँ ।
भारत की संस्कृती हि हो प्रबल जहाँ तहाँ ।।
इस मानवकी मानवता फिरसे जगाओ ! खोये0 ।।४।।
साधू, ऋषि-मुनियोंने जो है मार्ग बताया ।
उसपरही अमल कर चलो,जब राज मिलाया ।।
तुकड्या कहे जनताकाही सन्मान बढाओ ।खोये0।५।।