तेरे मनकी तार चढा दे

       (तर्ज : हरि भजन करेसे सुख पायेगा रे... )
तेरे मनकी तार चढ़ा दे, तब  रंग   पायेगा   तू ।
इस दृढता की गाँठ बंधादे, तब रंग पायेगा तू ।।टेक।।
हडबड हडबड क्या करता हैं,पानी की लहरोंपर न्हाये।
अंतर्मुख    हो     तभी,   सुख     पायेगा      तू  ।।1।।
बनी रहे मेरी जिन्दगानी, राम मिले यह भी है ठानी ।
किसकी निभी है बानी,   फिर   भरमायेगा   तु ।।2।।
बिन अभ्यास नहीं मन बैठे,सबके अनुभव यही बताते 
सबका कहना तोड - खोड, जीत जायेगा  तर  ।।3।।
जो सतगुरुने मन्त्र दिया है उसीका जप तन-मनसे पाये ।
तुकड्यादास कहे तर जाये,निज रूप पायेगा तु ।।4।।