अपनी अकल छलडाके मचाते है लडाई। असली धरमको छोडके बकते है बढाई ।।
(तर्ज: तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान... )
अपनी अकल छलडाके मचाते है लडाई।
असली धरमको छोडके बकते है बढाई ।। टेक ।।
किसने कहा कि आदमी को झूठ सिखाओ ?
किसने कहा कि अलग अलग धर्म सिखाओ ?
अपनी गरजके खातिर, धुमधाम मचाओ ।
ईमान गँवाके अपना, हैवान बनाओ।।
तूफान है ये इससे मिलती न खुदाई।। असली 0 ।।१॥
अपने धरमके खातिर, दुसरे को दो गाली।
उससे ही धर्म अपना होता है मवाली।
है धरमकी बुनियाद, सभी में हो खुशाली ।
सबका भला रहे, अकल सबकीही हो खुली।।
तुकड्या कहे इन्सान तेरी, मौत यौ आयी ! ।।असली 0 ।। २ ।।