किसीको मजबूरन क्यो बोलो

        (तर्ज : हरि भजन कंरेसे सुख पायेगा रे... )
किसीको मजबूरन क्यों बोलो ? तुम भगवान गावो रे ।
आता ताल नहीं,क्यों बोलो-ये ढोल बजावो रे ! ।।टेक।।
जबतक हो विषयोंकी झाँकी,सुने कहाँ वो बात किसीकी।
खुशी तुम्हारी  उसपर   लादे, नाच    नचावों   रे ।।1।।
बचपन में तो सीख न पाये, उमर भयी तब ग्यान बताये।
राम नाम क्या बोले, वो धन - धन ही   चाहो   रे ।।2।।
समझ -समझकर सन्त संगमें, लावो साधकको इस रंगमें।
तुकड्यादास कहे, मिलजुल कर, प्रेम बढाओ रे ।।3।।