अभी तो आँखे खोलो

            (तर्ज: ये दो दिवाने दिलके.. . )
अभी तो आँखे खोलो । बोलो तों मनमें बोलो ।
बचालो बचालो, बचालो   अपनी  जान ।।टेक।।
अपनाही मन देखो, कहाँ है संगाती ?
बिनाही होलीके खेले, भरे धूलमाती ।।
जराना शरम इसको, फिरे दिनिराती ।
यह काला, इसको धोलो । प्रभुरंग में इसको तोलो ।
बचालो  बचालो, बचालो अपनी  जान ।।१।।
इसका बयान देखो, विषयोंको चूमे ।
चोरी और जारियोंमे दिनरात  घूमे ।।
सदाही खाके माँस - मदिरामें  झूमे ।
सच्चा सुख क्या समझालो । इसके व्यसनोंको टालो ।
संभालो संभालो, संभालो इसकी  तान ।।२।।
साधुओंके संग जाता, अपनाही गावे ।
मंदीर का मुह कभी देखने न  पावे ।।
अपनीही तान मारे, अपना सुनावे ।
ग्रंथोकी बीन बजाओ । सुविवेकसे बुध्दि सजाओ ।
लजाओ लजाओ,लजाओ इसकी शान ।।३।।
इसका इलाज वही साधन है सारा ।
तुकड्या कहे, बोलो हरिनाम प्यारा ।।
तभी दूर होगा सारा, मोह - पसारा ।
सेवामें इसे खपा लो। प्रेम-ध्यान का रस पा लो ।
जपालो,   जपालो,   जपालो   गुरुग्यान ।।४।।