कहाँ हाथ पकडोंगे दुनिया का बाबा, जीने में भी तोबा और -मरने में भी तोबा

(तर्ज : तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ...)
कहाँ हाथ पकडोंगे दुनिया का बाबा,
जीने में भी तोबा और -मरने में भी तोबा ।।टेक।।
जरा कुछ भी बोलो तो पागल कहेंगे।
कुछ ना कहो तो भी लूटे चलेंगे।
दोनों तरफ से भी होती है शोभा।
जीने में भी तोबा और-मरने में भी तोबा ।। १ ।।
पहनी हो माला तो बोलेंगे ढोंगी।
खाली रहो तो वो होता है भोगी।
सच्चे रहो तो वे कर देंगे लम्बा।
जीने में भी तोबा और-मरने में भी तोबा।। २।।
गाड़ी को जाता, चलती को गाडी।
निर्भय को शिर-जोर, सीदा अनाडी। 
सतियों को पागल, जारण को रम्भा।
जीने में भी तोबा और-मरने में भी तोबा।। ३।।
ऐसे जमाने को किसने बनाया। 
मुझको है लगता यहीं पर है माया।
तुकड्या कहे उसको तीरथ न काबा।
जीने में भी तोबा और-मरने में भी तोबा।। ४ ।।