तेरे पावन सुन्दर चरणोंका
(तर्ज : माझे सुन्दर जीवन पाहोनी. . .)
तेरे पावन सुन्दर चरणोंका, करता हूँ प्रभू मैं ध्यान,
मुझे सुख है ! ।
मेरे प्यारे मनको समझाकर, उससे ही करूं गुण-गान,
मुझे सुख है ।।टेक।।
पुजा को चंदन मनका, चाँवल - फूल सभी मनका ।
मनसे ही तो भोग लगाता,चढवाता सारा मिष्टान्न ।।1।।
हिरदेका सिंहासन है, मनसे करू आवाहन है ।
मनकी बाती, आतम -ज्योति, ध्यानमें रखता हूँ जिवप्राण ।।2।।
सब पूजा करता है मन, प्रकाशमय पाते हैं चरण ।
उसके पीछे साक्षी रहता, मन नहीं भटकेगा बन-बन ।। 3।।
दृढ़ निश्चय दे साथ मुझे, इस कारण गुरुदेव की जय !
तुकड्यादास कहे-प्रेमीयों ! तुम भी रहो इसमें ही मगन ।।4।।