कर सके तो कर प्रभू की भक्ती आलसी !
(तर्ज : मंगलमय नाम तुझे...)
कर सके तो कर प्रभू की भक्ति आलसी !
समय जायगी निकल तो क्या बने ख़ुशी ?।।टेक।।
देखते ही बाप गये, माँ गयि और उम्र गयी ।
जो रही सो साध, मरनतक बची बुची ।।1।।
दसन गये, नैन चले, कान न सो नहीं सुध ले।
पक गया शरीर तो भी,क्या रही खुशी ? ।।2।।
चलते नहीं बनत चाल,पकडे नहीं कोऊ ताल।
तिरियाने लोट दियो, जाके घर बसी ।।3।।
बेटा की शान बडी, उलटी तो मुँछ चढी।
कौन सुनेगा ? ये तेरी नाव है फँसी ।।4।।
कहे तुकड्या मान कहा, जो कुछ भी दम है रहा।
राम-राम बोलत नहीं, जम करे हँसी ।।5।।