सबसे मीठा बोल, बाबा !

(तर्ज: अब तो आँखे खोल...)

सबसे मीठा बोल, बाबा! सबसे मीठा बोल ।। टेक।।
तू तुझको प्यारा है    जितना,
सबपर प्रेम किया कर उतना।
अपना -परका भेद हटाकर,ज्ञानकी अँखे खोल,बाबा ! 0।। 1।।
मत कर किसिसे लुचपतखोरी ।
नहिं तो होगी सबकी चोरी । 
नेकीसे कर गुजर-बसर,फिर होगा जगमें मोल,बाबा! 0।।2।।
सीधी राह पकडले प्राणी,
मत करना किसिसे बैमानी | 
ईश्वर सबका जाननहारा,जरा न भूले कौल, बाबा! 0 ॥3॥
वही रहेगा  नाम हमारा ,
जैसा कर्म किया हो सारा । 
तुकड्यादास कहे सुख चाहे, तो ये बातें तौल, बाबा! ॥4॥