अजी तुममें न हिम्मत है
(तर्ज : मनाला स्थीर करवाया... )
अजी तुममें न हिम्मत है, आज शिक्षणको सुधरावे।
बना जब शेर आदम ओर कैसे भेडीको खावे ? ।।टेक।।
मजा करने को सब पढ़ते, और पैसा भी आता है।
कष्ट फिर कौन ले-लेगा,यहाँ दूरदृष्टि क्यों पावे ? ।।1।।
पडेगी और देशोंकी, लडाई सरपे आकरके।
तो हम खायेंगे अपनेको,नही तो फिर कहाँ जावे ?।।2।।
चोट किसको लगी है ये, कि अपना देश हो सुन्दर ।
यहाँ तो बच्चे की पैदास पर ही गर्व आ जावे? ।।3।।
शहर आदर्श माने है, जो सबका खून पीते है ।
भरे देहात के भाई, संगठन वो न कर पावे ।।4।।
सभी मंत्री और अफसर भी, बिचारे है उसीमेंसे ।
वो तुकड्यादास कहता है, सुधरने कबसे दिन आवे ? ।।5।।