ऐ सन्त लहानुबाबा !

                            (दोहा)
       लहानुजी महाराज का, भरा बडा दरबार ।
       छोटे बडे सभी आते है, होता   बेडा  पार ।।

             (तर्ज: अब भारत की राहपे.... )
        ऐ सन्त लहानुबाबा ! हम आये तेरे  दरपे ।
        हमको नसीब करदे, तेरी मेहेर हो सरपे ।।टेक।।
हमने देखा संत महात्मा,आह सुने गरीबोंकी है ।
उनके जैसा कौन दयालू, दुनियामें अब बाकी है ?
कहाँपे है टाकरखेडा, वर्धा किनारा ?
मगर   संत   आके   खेडा   उध्दारा ?
हजारोंकी तुमने निभाई  है  जिंदगी ।
जबाँ    बोलतेही   फलेफूले   बंदगी ।
जुग जुग जीओ लहानूबाबा!अब भारतकी राहपे ।
खाना -पीना चैन  बनादो, इस   जनताकी  आहपे ।।१।।
अब भारतकी दशा है बिगडी,आपसभमें नहिं बनती है
सब स्वारथके पीछे भागे, भाई में भी छनती है ।
अगर    संत    लहानूबाबा !  दुआ   ना   करेंगे ।
तो घर घर जनतामें   लूटपाट   होंगे ।
लडाईभी होगी बाबा ! बम भी पड़ेंगे ।
फिर मुसीबतमें इनको कौन हाथ देंगे ?
संतोका वरदान यही वर बनेगा पापपर ।
तुकड्यादास बोले मुझको खुशी तेरे दीदारपर ।।२।।