सन्तो को पूछ अपने

       (तर्ज-आओ सभी मिल जायके... ) 
सन्तों को पूछ अपने, सुख दुःख की हवा ।
उनकी शरण में जाय तो, पायेगा वाहवा ! ।।टेक।।
शेगाव में है संत गजानन ! भि अवलिया ।
अपने जनम का उसने तो,उध्दार ही किया ।।
औरों को तारने को भी, देते   है   वे   दुवा ! ।।१।।
मरते न कभी सन्त, सदा ज्ञान - ध्यानसे ।
जीते है अपनी शक्तीसे,और सिध्दि प्राणसे ।।
जो भक्ति करें प्रेम  लगा, तो   मिले   नवाँ ! ।।२।।
आशा नहीं है जिसको, किसि और बात की ।
हो   चाहते   है   तेरेही   सद्गुण   राह   की ।।
चल ! जाग ऊठ ले तू ! अमर संग  की  हवा ! ।।३।।
साथी है सभी स्वारथी, अनुभवसे देख  तू ।
सच्चे वेहि एक सन्त है, कुछ उनसे सीख तू ।।
तुकड्या कहे,मुझको न प्रिय,सन्त के सिवा !।।४।।