खुदी जो सूखका साक्षी
(तर्ज : दयालू आसरा तेरा... )
खुदी जो सूखका साक्षी, उसे क्योंकर बता देना? ।।टेक।।
मकानों के भितर अपने, ढँढोले योग जो करके ।
खुदी जल हो नहाता है, उसे क्योंकर बता देना ? ।।१।।
न धारा है न मूरत है, न माला और ना कोई ।
सदा रस एक हे साक्षी, उसे क्योंकर बता देना? ।।२।।
खुदी निजधाम का मालिक न आना लौटना भी है ।
सभी पथ में वहीं साथी,उसे क्योंकर बता देना ? ।।३।।
अटल मस्ती है ग्यानहि की, मिले जो रंगता रगमें ।
विषयही रंगरुप होता, उसे क्योंकर बता देना ? ।।४।।
बिना सत्के न है कुछभी, सिर्फ है वासना न्यारी ।
वह तुकड्या खुद मरा खुदमें,उसे क्योंकर बता देना ? ।।५।।