अबके सन्त कहाँ मिलते है ?
(राग: खमाज)
अबके सन्त कहाँ मिलते है ? ।।टेक।।
सब जीते संतन के नामा, जीवन को पलते है ।
भेख लगाये मठोंपर बैठे, कहो जहाँ चलते है।। अबके0।।1।।
शूर के नाम पले घर-गुण्डे,रणमें क्या फलते है।
ब्राह्मण नाम पते मजदूरन, तीर्थ दे हिलते है ।। अबके 0।।2।।
दाता नामसे हैं घुंसवाले, मतलब को घुलते हैं।
वैश्य नामसे पले भुंजाडी, चना बेच छिलते है ।।अबके 0।।3।।
सबही नाम बडोंका लेते,न कुछ काम करते है।
तुकड्यादास निभेगा कैसे? शत्रु सिर हरते है।। अबके 0।।4।।