हम सब जीयेंगे सौ साल

               (तर्ज : प्यारा हिन्दुस्थान है...)
हम सब जीयेंगे सौ साल, भारत-माँ को करें निहाल।
घर-घरमें उद्योगी होंगे, नौजवान, बुढ़ढे और बाल ।।टेक।।
विजय हमारा खेलोंमें, कुश्तिमें हर मेलों में।
लडनेमे और बढ़ने में भी जीतेगा नहीं कोई कराल ।।1।।
शिक्षण में आगे हों हम, चरित्र में जागे हों हम।
खेती -किसानी खुदी करेंगे, गाँव-गाँव खोदेंगे ताल ।।2।।
संयम से हम    जीयेंगे, परस्री    को  नहीं     छुवेंगे ।
शराब -चोरी, झूठी बातें, इनके हरदम होंगे काल ।।३।।
पराजीत को मरना है,  हमको सदा    सुधरना    है।
तुकड्यादास कहे जीवनमें, लायेंगे ऋषियोंकी चाल ।।4।।