सद्गुणी है पर डरता है
(तर्ज : प्यारा हिन्दुस्थान है... )
सद्गुणी है पर डरता है, वो क्या उन्नति करता है ।
कौन सुनेगा उसकी बातें ? गुण्डों से घर भरता है ।।टेक।।
ऊँचा गुण है निर्भयता, सत्य उसीकी हैं बाता।
चरित्र उसका साथी समझकर,संयमी उनका नाता है ।।1।।
भेख बडा है साधू का, और काम करे सब भोंदु का ।
कैसी दुनिया माने उसको, जो ख़ुद स्वार्थी रहता है ! ।।2।।
सतक्रांती में कूद पडे, झूठों से हरदम झगडे।
मरने की पर्वा नहीं जिसको, वही शूर कहलाता है ।।3।।
ग्यान-ध्यान की मस्ती है, उपासना की किश्ती है।
कहता तुकड्या बैठ उसीपर, बस्ती भरी सुधरता है ।।4।।