समझ लिया है मैने तुमको
(तर्ज : बन्दे मातरमू, बन्दे मातरम.... )
समझ लिया है मैने तुमको, तुम मतलब के गर्जी हो ।
भले खुले नाचो दुनियामें,चाहे करो जो मर्जी हो।।टेक।।
किसकी सुनी है अबतक तुमने तो मेरी सुन पावोगे ?
देव, धर्म अब बगल तुम्हारे, कहाँ ग्यान सुन पावोगे! ॥1।।
एक जवानी मस्ती की और दूसरी धनकी पासमें है।
तिसरी सत्ता मिली जरासी,फिर क्या कमी उल्हासमें है ! ।।2।।
अबतो काटो दिन-दहाडे, गरिबोंकी जिन्दगानी को।
चिल्लाने दो किसान सारा, अपने दाना -पानी को ।।3।।
नाम हरघडी देहाती का, पर उसका ना भला करा |
साहब के घर भरे सभीने, डांबर सड़कें किया पूरा ।।4।।
देश भी जागृत हो जावेगा, तबतो तुमको मुश्किल है ।
प्रेम रखो, नेकी सीखो तो बच जावोगे हर पल है ।।5।।
इस कर लेना, इस कर देना,यह कलयुग की बाणी है ।
संतोंने गायी है अपने अनुभव परही छानी है ।।6।।
जिस शिक्षणसे बने हों तुम, वह रास्ता ही धोखेका है |
तुकड्यादास कहे, जीवन को,सुधरो तब फल बाँका है ।।7।।