जो क्षत्रिय कहनेको चाहे
(तर्ज : वन्दे मातरम्, बन्दे मातरम्. ... )
जो क्षत्रिय कहनेको चाहे, घरमें कैसे सोता है ?
सैन्य खडा है देश को घेरा, ये बेठेसे रोता है ! ।।टेक।।
या तो शूर कहना छोडे, या रंग-रंग का बाणा ले।
मजाक नहीं है क्षत्री कहना, चित्तोड का सुनवाना ले।।1।।
शूर शिवाजी होता तब तो चैन न होती एंक घडी।
क्या मजाल है शत्रु आये, भारतपे हर घडी-घडी ।।2।।
कायर होके नहीं जीना है, शूर-वीर का है नारा।
तुकड्यादास कहे, रजपूतों और मराठों ! सुनो जरा ।।3।।