था नस - नस में गांधी का नशा
(तर्ज: मेरे दिलमें गुरुने जादू...)
था नस-नस में गांधी का नशा,
करके हि जवाहर आगे बढा ।
जब मन्त्र मिला गांधी का सही,
तब आजादी पानेको लडा ।।टेक।।
कई नौजवान मरनेको खडे,
होते थे उन्हीके कहने पर ।
कई क्रान्तिवीर थे गरज रहे,
तभी भगतसिंह शूलीपे चढा ।।१।।
अजि! क्रान्ति करो या शान्ति धरो,
पर अब न गुलाम रहे भारत ।
यह वीर सुभाष ने बोल टिया,
तब तो यह जमाना टूट पडा ।।२।।
चारोंहि तरफ हलचल थी मची,
हर बच्चा-बच्चा गाता था ।
आजाद हमारा हो भारत,
कह, छाति तान रहता था खडा ।।३।।
तुम क्या कहते ? हमने देखा,
वह आष्टि-चिमोर का काण्ड बडा।
तुकड्या कहे, हमपर बीत गयी,
जब पत्थरभी बम होके पडा ।।४।।