खेतीमें नाज उगाओ रे भाई, खेती में ध्यान लगाओ
(तर्ज : भजनबिना कैसे तरियो. . . )
खेतीमें नाज उगाओ रे भाई, खेती में ध्यान लगाओ ।।टेक।।
खेती है देवता देशकी, और गौये है माता ।
सच्चा पुजारी किसान ही है, कसकस् नाज उगाता रे भाई0।।१।।
अच्छी गौये बैल दिलावे,और दुधकी धारा ।
इसीलिये हम गो-बधियोंको, कहते आये गँवारा, रे भाई 0 ।। २ ।।
भारत में इतनी जनता है, कौन तरीके जीये ।
एकही साधन है खेतीका, अरबों नाज उगाये, रे भाई 0।।३।।
उसपर ही है शान देशकी, नाना रंग उडाओ।
तुकड्यादास कहे भूलोगे, तब भूखे मर जाओ, रे भाई 0 ।। ४ ।।