बदलने आया । गांधीजी यूग बदालने आया
(तर्ज: सच्चा धर्म नहि जाना...)
युग बदलाने आया ।
गांधीजी युग बदलाने आया ।।टेक।।
कर्मठता की जोर बढी थी ।
छुआछुत - दीवार खडी थी ।
लाखों को समझा-समझाकर ,
मानवता बढवाया ।। गांधीजी0।।१।।
गुलाम था भारत वर्षों से ।
धर्म पराधीन था ही तबसे ।।
स्वतत्रता की दे ललकारी ,
सत्याग्रह करवाया ।।गांधीजी 0।।२।।
मदिरा थी घर-घरकी रानी ।
उसकी चाल पडी थी पुरानी ।।
भट्टी के दरवाजे जाकर,
व्यसन-मुक्त करवाया ।।गांधीजी0।।३।।
तुकड्यादास कहे भंगी को ।
घृणाबुध्दि जन देखे उनको ।।
हाथ बकेट उठाकर बापू,
मैला साफ कराया ।। गांधीजी 0।।४।।