अब तो भेय्या ! सहकारी खेती बनाओ ! प्यारे मित्रों! सबका भला कर जाओ ।।
अब तो भेय्या ! सहकारी खेती बनाओ !
प्यारे मित्रों! सबका भला कर जाओ ।।
सोये किसान जगाओ,जगाओ।।अब तो 0।।टेक।।अपना परका भेद ये तोडो।
सबके श्रम खेतीको जोडो।।
उपजाओ सब नाज पहाडों।
भूमि जरा खाली नहिं छोडो।।
सबमिल बाँट के खाओ, खाओजी।। अब तो 0।।१।।
अपना अपना शेअर मिलाके।
सुख पाओ सब चीज बनाके।।
सब ही मुनाफा लो बँटवाके।
प्राप्त करो सब श्रम करवाके।।
सुन्दर ग्राम बनाओ, बनाओ!।। अब तो0॥२॥
सब बेपार बने सहकारी।
खाना -पीना चीजें सारी।।
नहिं हो एकको लुचपतखोरी।
तुकड्यादास कहे सुनो मेरी ॥
समाज ऊँचा उठाओ, उठाओ! ।।अब तो0॥३॥