सन्तों ! वे दिन गये तुम्हारे
(भूप -कल्याण )
सन्तों ! वे दिन गये तुम्हारे ।।टेक ।।
अब तो माला -चन्दन पहिने
जनता गारी निकारे ।
राम-नाम को लिखे -पढ़े भी,
हँसी -हँसी बात उखारे ।। सन्तों ?0।।1।।
शास्तर बेद रखो है ऊपर,
पढने वख्त न होती।
तोता -मैना और सिनेमा,
इनमें रात निकारे ।। सन्तों ? 0।।2।।
संयम की बातें मत बोलो,
जो चाहे करने दो ।
खुशी हमारी, राज हमारा,
जीते या हम हारे ।। सन्तों ? 0।।3।।
गुरूजन भी सिखलावें केसे ?
लड़के आँख निकारे!
नहीं आवेंगे रोज-रोज हम,
आवेंगे दिन चारे ।। सन्तों ? 0।।4।।
शासक भी कुछ बोल न जावे,
चुनके नहीं आवेंगे।
तुकड्यादास कहे, यह हालत,
जाने कौन सुधारे ? ।।सन्तों ? 0 ।।5।।