हम तो कर चिंतन भरमायें
(भूप.. कल्याण )
हम तो कर चिंतन भरमायें ।।टेक।।
किसको बात कहेंगे आपनी ।
तिनसो प्रीत लगाये ।
जो देखे सो अपना गर्जी।
अपनी तान सुनाये।। हम तो0।।1।।
हलचल मची बढ़े जानेकी।
हम ही आगे आये ।।
सात्विक है हमरे मन जगमें।
कैसे काल निभाये ?।। हम तो0।।2।।
अनुभव की नहीं गर्ज किसीको।
सब मतलब की गाये।।
डूब रही दुनियाँ लड-लडकर।
आपस सीर कुटाये।। हम तो0।।3।।
वाहवा रे, इस काल-जालकी।
बाँकी बन्सि बजायें ।।
तुकड्यादास हार गयीं मतियाँ ।
सद्गुरु लाज बचायें।। हम तो0।।4।।