हम पागल भक्तिके, भजनसे मोल हमारा बिके

          (तर्ज : मोल न कुछ भी लिया... )
हम पागल भक्तिके, भजनसे मोल   हमारा   बिके ।
जनम -जनम के रुके,इसी कारणसे यहाँ आ चुके ।।टेक।।
आग लगी संसार हमारे, हमतो निपटे पहिले सारे ।
गृहस्थ-पथ से हुके।। भजनसे मोल हमारा बिके0।।1।।
जात-पांत बचपनसे छूटी ,मिली गुरु के नामकी बुटी।
उन्हीं चरण पर झुके ।।भजनसे मोल हमारा बिके0।।2।।
पंथ -पक्ष -संप्रदाय सबका, मिटा हमारे दिलसे धोखा।
अहंकार बिज सुके।। भजनसे मोल हमारा बिके0।।3।।
सबसे मिलते, नम्र है सिरके,संकट में पक्के है धीरके।
प्रेमी सदा हैं मुके।। भजनसे मोल  हमारा बिके0 ।।4।।
अबतों सारा विश्व हमारा, ऐसाही दिलमें निर्धारा।
तुकड्या कहे,कह चुके।। भजनसे मोल हमारा बिके0।।5।।