जब दिलको लगी, तुम क्या जानो

     (तर्ज : कुणी काही म्हणा, मज भान नसे मी,
जब दिलको लगी,तुम क्या जानों,ये जिसका वो ही समझता है ।
हर नूर अलग है तबियतसे, वैसा भी उसीका रास्ता है ।।टेक।।
कोई ध्यान लगाकर बैठ गया, किसने मंदरमें फूल दिया ।
कोई तारी बजाकर गाता है, अपने रँगमेंही गर्जता है।।1।।
किसने तो मंदर छोड दिया, वो दलित-दीनोंमें जाके बसा।
ईश्वर है वहाँ समझा उसने, सेवामें लगा दिन सजता है ।।2।।
किसने इस देशके खातिर ही, कुर्बान किया तनमन ये सही ।
हम बलिवेदी पर चढ जाये, जब देश का धोखा बचता है ।।3।।
कोई आत्मग्यानमें मस्त बने, सब जो होता वहीं ठीक कहे ।
सुख-दुःख समान सभी उसको, वह साक्षी रुपको भजता है ।।4।।
जो-जो करना दिल खोल करो, खाली न पडो, नाहक ना मरो ।
तुकड्या कहे, सृष्टि प्रभु की है, सब साधो जो भी अरजता है ।।5।।