एक अवगुणी पास धरोना, मुझे भक्ति नामसुख दो ना
(तर्ज : गुरुदेव हमारा प्यारा... )
एक अवगुणी पास धरोना, मुझे भक्ति नाम सुख दो ना ।।टेक।।
बचपन से ही सबने छोडा, मैं तो योंही भटकता दौडा।
आया हूँ, चरणों में लोना।। मुझे भक्ति0 ।।1।।
मुझको पथ वहीं जचता है, कुछ ही थोडी वहाँ सचता है ।
बाकी है खेल- खिलौना ।। मुझे भक्ति0 ।।2।।
मैं साधू का भेख न चाहता ! वहाँ है दूकान-जैसा नाता ।
नहीं बिरह-त्यागका बाना।। मुझे भक्ति 0।।3।।
कोई बिरले दुर्गुण त्यागी, प्रभु ग्यान-ध्यान अनुरागी ।
उनसे लगवा दो ठिकाना।। मुझे भक्ति0 ।।4।।
कभी सच्चा संत नहीं जानूँ, पर असंत तो पहिचानू ।
कहे तुकड्या अन्त निभाना।। मुझे भक्ति 0।।5।।