सारी जवानी में तूने, किये पाप भारे । अभी बुढ़ापे में काहे, प्रभू को पुकारे ?
(तर्ज : छुप गया कोई रे !...)
सारी जवानी में तूने, किये पाप भारे ।
अभी बुढ़ापे में काहे, प्रभू को पुकारे ? ।।टेक ॥
जमा किया सारी, पास में बुराई !
कभी भी किसी की, लिया ना दुहाई!
अब राम कैसे होगा, हाथ - पैर हारे ।।१।।
चोरी और जारी, लचपतखोरी!
प्रेम से न बोला किसीसे पुकारी !
छींक रहे लोक सारे, मुख ना निहारे ! ।।२॥
बोल तेरे घरको सारे, पाप ना बढाओ !
सेवा करो सबकी तबही शांति सुख पावो ! !
कहे दास तकड्या तब ही, सुने प्रभु प्यारे ।। ३ ॥