राम - भजन मे रँगा था बापू, सेवाग्रामवाला

     (तर्ज: अमृत समजुनि प्याली विषाचा...)
राम-भजन मे रँगा था बापू, सेवाग्रामवाला ।
वाहवाह  रे ! उसकी  लीला ।।टेक।। 
अच्छे रहो औ सचही बोलो ।  
सेवाके ब्रतको  नहिं   टालो ।
संयम अपना भला सम्हालो । यहि हरदम बोला ।।१॥
तीन बन्दरोसे ब्रत सीखो । 
शुभही कहो,सनो ओर देखो । 
नहि तो काबू कर अपनेको । जपो  नाम - माला ।।२।।
सीधे रह सादगीसे जीओ ।
छल-बल की वृत्ति को हटाओ ।
अन्तर्मुख होकर प्रभु गाओ । लो अनुभव प्याला।।३।।
मानवता हो  धर्म हमारा ।
प्रेमका दीपक करे उजारा ।
तुकड्या कहे फिर तारनहारा । मोहन अलबेला ।।४।।