हम लम्बे भी जाय, तो भी पास तेरे है

      (तर्ज : वो तो बिन जापतापे..... ) 
हम लम्बे भी जाय,तो भी पास तेरे है ।
सारे घट-घटमें प्यारे, निवास   तेरे  है ।।टेक।। 
जीव रहते अनेक पर तो ईश्वर है एक ।
चाहे नदियाँ अनेक पर तो सागर है एक ।
यों तो तारे अनेक, पर तो चन्दा है एक ।
वैसे दुनिया अनेक, पर ब्रह्म ही है एक ।
हम जहाँ ध्यान करते,दिल प्रेम भरे है।सारे 0।।1।।
तनसे है पर तो मनसे बिछुड गया ।
धनसे है पर तो दानसे बिछुड गया ।
सत्तासे है पर सेवासे बिछुड गया ।
भक्ती है पर नम्रता   से   दूर   गया । 
कहता तुकड्या,हरेंगे जब नेम भरे है।।सारे0।।2।।