सन्त, भक्तोंसे पूछा भगवान कहाँ है ?
(तर्ज :वो तो बिन जापे -तापे... )
सन्त, भक्तोंसे पूछा भगवान कहाँ है ?
उनकी बाणीसे निकला, जहाँ प्रेम वहाँ है ।।टेक ।।
पंडित के पास नहीं ,उसको फुरसत कहाँ ?
पंथो के पास नहीं, झगडेसें वक्त कहाँ ?
योगीयों के पास नही ,नम्रता नही है वहाँ ।
तपियों के पास नहीं, बाणीमें प्रेम कहाँ ?
फेर कहाँ जाये, जहाँ ग्यान बहा है।। उनकी 0 ।।1।।
मंदर में देखा, वहाँ धनकी ही लूट है ।
तीरथ में देखा, वहाँ पापोंकी छूट है ।।
मेलेमें देखा,वहाँ बन-सा गया गुट है ।
भजनीयों में देखा तो आपस में फूट है ।।
कहता तुकड्यादास शुद्ध नेम जहाँ है !।।उनकी 0।।2।।