अनुभव बिन धीर न आवे
(तर्ज : अपना सुन्दर देश बनाये...)
अनुभव बिन धीर न आवे, उसको चाहे कोई समझावे ।।टेक।।
पिता कहे लडकोंसे - बचना, झूठ बात मत करना!
जबतक ठोकर मिले न उसको, बेटा हँसी उडावे ।।1।।
काला काम करो मत कोई, सत्ता ढोल बजावे।
जबतक जेल-फाँसी नहिं होती,कोई नहीं सुन पावे।।2।।
मिथ्या है संसार सरासर, भले निगामें आवे।
मौत घाट उतरे नहिं काया, नाहक मुंडा हलावे ।।3।।
तुकड्यादास कहे हो जिसका, उसके सँगही जावे ।
सत्गुरु बात बताते फिरभी,जल्दि समझ नहिं पावे।।4।।