आये व्दार पे तुम्हारे हांथ जोडे

(तर्ज :पक्षिणी प्रभाती चारीयासी जायें... )
आये द्वार पे तुम्हारे हांथ जोडे ।
खोलदो    किवाडे    दर्शनों   के  ! ।।क।।
सुना नाम हमने दयालू है भगवन्‌ ।
कितने   भी    पावन    होते   ऐसे  ! ।।1।।
क्षमा -याचनाकी पूर्ती आज होगी ।
प्रत्यक्ष     मिलेगी   शांती    देवी  ! ।।2।।
गंगा नहीं देखें मल-मुत्र छानी ।
मिलते ही पानी   समा       जावे !  ।।3।।
तुकड्यादास अबके पिछू नहिं आये ।
चरणों को   पाये   दूढ    भावोंसे ! ।।4।।