ओ जो मारे जिसको - उसको

(तर्ज : जो तो सांगे ज्याला त्याला..)
ओ जो मारे जिसको -उसको - 
छोडा नहीं है उसने किसको ! ।।टेक।।
बोल-बोल कर हारी बानी।
समझावे सत् ग्यान से ग्यानी।।
अभीतक तो उसने नहीं मानी।
अब बतलाओ, बोले किसको ! ।।1।।
हम तो   पूजा करने   जावे ।
बीच में अपनी तान लगावे ।।
हमरा करना जरा न भावे।
कहों समझावे कैसा  इसको ? ।।2।।
ऐसी है  ये  मनकी   रीती ।
पूरी करता रहा   फजीती ।।
जीति-जागती उमर ये   बीती ।
तुकड्या कहे,कब पाये प्रभुको ! ।।3।।