अपने मतलब का गाना तो भी कहेंगे !
(तर्ज .. दो हंसो का जोडा...)
अपने मतलब का गाना तो सभी कहेंगे !
भाई ! सेवाका बाना अब कौन सहेंगे ? ।।टेक।।
अग्नि में पाँव धरे राज चलाना !
वो तो राजा जनकने ही पूरा पछाना ।।
रावण भी राजा था, तुमने भी सुना ।
कैसा हुआ रामजीसे उसका धिंगाना ।।
जनता को धोखा देके कौन रहेंगे ? ।।1।।
कौन-कौन राजे हुये, कौन-कौन गुण्डे ।
कौन-कौन सन्त हुये, कौन कौन बण्डे।।
कौन-कौन शूर रहे, किसके रहे झण्डे ।
काल के कराल दाढी में सबही बने ठण्डे।।
मगर एक कीरत से सबहि जीयेंगे ! ।।2।।
रघुकुल नीती की डींग मारते ।
मगर दूध बेचे में पानी डालते ।।
सारे अगुआ बनने में नाम पुकारते ।
मगर बखत पडे जब पैर पसारते ।।
ऐसा करने से भारत क्या सुखायेंगे ? ।।3।।
पैर मिलाकर के चलो तो है भलाई ।
खेति-किसानी में मलो तो है भलाई।।
भाई-भाई बनके खेलो तो है भलाई ।
आपसी की बात झेलो तो है भलाई ।।
कहे तुकड्यादास अब तो वही रहेंगे ।।4।।