सब के संगमें प्रेम करो, यह दो दिनका है मेला

सब के संगमें प्रेम करो, यह दो दिनका है मेला ।
          ऐसा सन्तोंने बोला, होss ।।टेक।। 
प्रीय महात्मा गांधी, येशू, बुध्द शान्ति के प्यारे ।
अपने जीवन में उन सबने महाशत्रु भी तारे ।।
सबमें ईश्वर पाया, अपना  भेद  उन्होंने  खोला ।।१।।
मानव सेवासे बढकर तो कोई नहीं है पूजा ।
सब जीवों में प्रेमभाव सम मन्त्र नही है दूजा ।।
संयमी बनकर रहे,उसीने जीवन अपना तोला ।।२।।
इसको मारो उसको मारो कहते मरघट छाओ ।
लाभ नहीं कुछ मिले जगतमें, आओ वैसे जाओ ।।
तुकड्यादास कहे मैने वह पाया  प्रेमका  झूला ।।३।।