कहाँ किसने देखा, कहाँ किसने देखा

             (तर्ज : तू कर्ता आणि करविता... )
            कहाँ किसने देखा, कहाँ किसने देखा ?
                 हमारी नजर का तारा ! ।।टेक।।
उसके मिलने को,दिल तडफत है,कोई मिलादो प्यारा।
आफत है नहीं तो इस दिलमें, होगा सभी अँधियारा ।।
इस कारण कहता-चिल्लाता, दर्द मिटा दो सारा ! ।।1।।
बादल में छूपी है ज्योति, मोति कहाँ है हमरा।
उसके  दर्शनसे दुख जाये, यहि हमरा निर्धारा।।
आओ मिलाओ कोई तो सुजनो ! तुकड्यादास पुकारा ।। 2।।