तुम्हीं हो प्रेरक हम दासों के

(तर्ज : तूचि कर्ता आणि करविता.....)
तुम्हीं हो प्रेरक हम दासों के ।
शरण तुम्हारे हम है।। होss ।।टेक।।
संत सद्गुरु आडकोजी  से ।
हमरी प्रार्थना तनसे - मनसे ।।
उन्नत हो हम इस जीवन से।
              चरण सहारे हम है  ! ।।1।।
योग -याग नहिं हमसे बनता ।
जप-तप करना बडा अखरता ।।
तुमरी सुमरण नाव धरी हैं ।
              लगे किनारे हम हैं ! ।।2॥
स्वाँस -स्वाँस मे तुमरा चिन्तन।
श्रवण-मनन तुमरा निजध्यासन ।।
यहि हैआसन, यहि है साधन ।
                तुमपर हारे हम हैं ! ।।3।।
हर कामों में झलक तुम्हारी ।
हर चीजों में नजर तुम्हारी ।
तुकड्यादासका निश्चय है ये -
               प्रेम के प्यारे हम है !।।4।।