लिया, ले लियाजी मैंने मोल लिया

(तर्ज : जिया ले गयोजी, मोरा साँवरिया... )
लिया, ले लियाजी मैंने मोल लिया ।
कछु दिया नहीं धन,मैंने प्रेम किया।।टेक।।
         ये सही है, ये सही है ।
सुना नहीं मैने, दिल-मनसे लिया।
देखा तो पास गया, मैं चमक गया ।
सुन्दर साज था मीठा,औ बाज था।
वो था, जो टिलमें ही छाय गया ।।लिया 0 ।।1।।
         कौन कहे, कौन कहे ?
नहीं मेरा प्यारा वो मोहन भया ।
होना न न्यारा हमसे, मैं जान गया ।
मीठीसी बाँसरी, हाथोंमें थी धरी ।
तुकड्याने उसको  समाय  लिया ।।लिया0।।2।।