तेरी पावन कुटी में खडा हो कोई ।

    (तर्ज: श्यामसुंदर की मीठी...)
तेरी पावन कुटी में खडा   हो   कोई ।
आँख में जल भरे, धार रुकती नहीं ।।टेक।।
प्रीय बापू ! तुने देश को जो दिया ।
कौन नहि जानता? कुछ न बदला लिया ।।
एक  रोटी   औ   खद्दरहि   तेरी   रही ।।१।।
एक फूटा खडाऊ औ माला पडी ।
तेरे चरखे की है यह निशानी खडी ।।
मट्टिकी   झोपड़ी   याद   देती  सही ।।२।।
जिसने देखा था बापू ! इसी स्थान में ।
उसको वैसाही दिखता सही ध्यान में ।।
सारी दुनिया हि दर्शन को आती रही ।।३।।
हम तो कहते, तेरी   याद   है   प्रार्थना ।
जो   करेगा   उसीका   है  गांधी   बना ।।
दास तुकड्या कहे याद किसिको नहीं ।।४।।