भजन

क्रमांक भजन
1 जो नम्र सदा, प्रिय भावुक है
2 जो नम्र होऊ नेणे ! तेणे बुडविले जिने
3 जो नर अपना घर नहिं जाने ।
4 जो निघतो दिवस दुःखाचा काय करावे आता ?
5 जो परनिन्दा, परद्रव्य हरे
6 जो प्रीतके घरको पाचुके है,
7 जो फूल भरे रोशनके थे
8 जो भक्तीने आकळतो तोचि सत्कार्याने मिळतो !
9 जो रुजगार चलाओगे, जग जाहिर कर जावोगे ।
10 जोग में अडकता, बडबडता, क्यों अनुभव के घर नहीं चढता
11 जोग में अडकता, बडबडता, क्यों अनुभव के घर नहीं चढता
12 जोग में अडकता, बडबडता, क्यों अनुभव के घर नहीं चढता
13 जोगन बनके जाऊँगी मैं
14 जोगिया सुनले कहीं अब, बन-बनों क्यों फिर रहा?
15 जोगी कोई रमता देखा
16 जोगी दर्शन दे, दर्शन दे, दर्शन दे ।।टेक।। दुखिया हूँ तेरे द्वारपे आया।
17 जोवरी तो भोग न सुटे कर्माचा
18 जोवरी वासनाक्षय नाही झाला
19 जोवरी विषय न सुटती पाच
20 जौहरी होनेको चटका, जाकर फूगेसे लटका
21 जौहरी होवन को चटके, आखरी फूगे से लटके
22 ज्ञान संतांनी कथिले ।
23 ज्ञान हे सद्गुरु
24 ज्ञान-दीप हा विद्यार्थ्याचा, वऱ्हाडचा हरपला ।
25 ज्ञानदेव ऐसे म्हणे I